Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur in Chhattisgarh : जानिए रतनपुर की श्रद्धा और आस्था की गहराई

By shweta soni

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हेलो दोस्तों आप सभी का chhattisgarhtouristplaces में स्वागत है आज के इस लेख में Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur in Chhattisgarh : जानिए रतनपुर की श्रद्धा और आस्था की गहराई को कहते हैं जो भी इस मंदिर की चौखट पर आया वो खाली नहीं गया। जितनी अनोखी इस मंदिर की मान्यता है। उतनी अनोखी इस मंदिर की कहानी है। यहां बैठी मां महामाया देवी के आशीर्वाद से हर संकट दूर हो जाता है। कुंवारी लड़कियों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। लोगों के सभी कष्ट दूर हो जाते है। देवी मां के इस मंदिर को 51 शक्ति पीठ में एक माना जाता है।

छत्तीसगढ़ में बिलासपुर से 25 किलोमीटर पर स्थित आदिशक्ति मां महामाया देवी की पवित्र पौराणिक नगरी रतनपुर का इतिहास प्राचीन एवं गौरवशाली है। त्रिपुरी के कलचुरियों की एक शाखा ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर दीर्घकाल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया। राजा रत्नदेव प्रथम ने मणिपुर नामक गांव को रतनपुर नाम देकर अपनी राजधानी बनाया। श्री आदिशक्ति मां महामाया देवी मंदिर का निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा 11वी शताब्दी में कराया गया था।

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महामाया मंदिर निर्माण के पीछे छिपी कहानियाँ

1045 ईस्वी में, राजादेव रत्नदेव ने पहली बार मणिपुर नामक गाँव में रात्रि विश्राम एक वट वृक्ष पर किया। अर्धरात्रि में, जब राजा की आंखें खुलीं, तो उन्होंने वट वृक्ष के नीचे आलौकिक प्रकाश देखा। यह देखकर वे चमत्कृत हो गए कि वहाँ आदिशक्ति श्री महामाया देवी की सभा लगी हुई है। इतना देखकर उनकी चेतना खो बैठी। सुबह होने पर, वे अपनी राजधानी तुम्मान खोल लौट गए और रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया। 1050 ईस्वी में, श्री महामाया देवी का भव्य मंदिर निर्मित किया गया। Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur

माता सती का गिरा था स्कंध

Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur in Chhattisgarh : जानिए रतनपुर की श्रद्धा और आस्था की गहराई

माना जाता है कि सती की मृत्यु से व्यथित भगवान शिव उनके मृत शरीर को लेकर तांडव करते हुए ब्रह्मांड में भटकते रहे। इस समय माता के अंग जहां-जहां गिरे, वहीं शक्तिपीठ बन गए। इन्हीं स्थानों को शक्तिपीठ रूप में मान्यता मिली। महामाया मंदिर में माता का दाहिना स्कंध गिरा था। भगवान शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर उसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था। इसीलिए इस स्थल को माता के 51 शक्तिपीठों में शामिल किया गया। यहां प्रात:काल से देर रात तक भक्तों की भीड़ लगी रहती है। माना जाता है कि नवरात्र में यहां की गई पूजा निष्फल नहीं जाती है। Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur

महामाया देवी तीन रूपों में भक्तों को देती हैं दर्शन

रतनपुर में विराजी मां महामाया की महिमा बड़ी निराली है। महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूपों में यहाँ पर महामाया देवी अपने भक्तों को दर्शन देती हैं। दुर्गा सप्तशती के साथ ही देवी पुराण में महामाया के बारे में जो कुछ लिखा है, ठीक उन्हीं रूपों के दर्शन रतनपुर में विराजी महामाया के रूप में होते हैं। महामाया मंदिर में शक्ति के तीनों रूप दिखाई देते हैं। तीनों रूपों में समाहित मां के स्वरूप को महामाया देवी की संज्ञा दी गई है। Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur

रतनपुर महामाया मंदिर के बारे में

मंदिर का नामश्री आदिशक्ति मां महामाया देवी मंदिर
स्थानरतनपुर, छत्तीसगढ़, भारत
महत्व51 शक्ति पीठों में से एक
Distanceबिलासपुर से 25 किलोमीटर
निर्माण काल11वीं शताब्दी, राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा
इतिहासरतनपुर का इतिहास प्राचीन और गौरवशाली है, राजा रत्नदेव प्रथम ने मंदिर का निर्माण कराया
नवरात्रि मेंयहां भक्तों की भीड़ रात्रि तक लगी रहती है, और माना जाता है कि नवरात्र में यहां की गई पूजा निष्फल नहीं जाती है
Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur in Chhattisgarh

संरक्षक की भूमिका में हैं काल भैरव

Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur in Chhattisgarh

मंदिर के संरक्षक की भूमिका में काल भैरव को माना जाता है। राजमार्ग पर महामाया मंदिर के ही रास्ते पर काल भैरव का मंदिर स्थित है। आम धारणा यही है कि महामाया मंदिर जाने वाले तीर्थ यात्रियों को अपनी तीर्थयात्रा पूरी करने के लिए काल भैरव मंदिर में पूजा अर्चना करनी पड़ती है। Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur

रामटेकरी मंदिर खास है

Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur in Chhattisgarh

रतनपुर में महामाया मंदिर के पास ही पहाड़ के ऊपर भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी का मंदिर है, जिसे रामटेकरी कहा जाता है। रामटेकरी से पूरा रतनपुर शहर दिखता है और यह दृश्य बहुत ही सुंदर दिखाई देता है। 1045 ईसवीं में राजा रत्नदेव प्रथम मणिपुर नामक गांव में एक वट वृक्ष के नीचे रात्रि विश्राम कर रहे थे।

अर्धरात्रि में जब राजा की आंख खुली तो उन्होंने वृक्ष के नीचे आलौकिक प्रकाश देखा। वह यह देखकर अचंभित हो गए कि वहां आदिशक्ति श्री महामाया देवी की सभा लगी है। सुबह वे अपनी राजधानी तुम्मान खोल लौट गए और रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया। 1050 ईसवी में श्री महामाया देवी का भव्य मंदिर निर्मित कराया गया। कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर की चौखट पर आया वह खाली नहीं गया। माता के इस धाम में कुंवारी लड़कियों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur

Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur : लाखों भक्त नवरात्रि में आते हैं

नवरात्रि में रतनपुर शहर ऊपर से नीचे तक सजा रहता है। अष्टमी के दिन यहां दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु हर वर्ष आसपास के क्षेत्रों से पैदल चलकर आते हैं और माता से मनोकामना मांगते हैं। यहां पहुंचने के लिए सड़क, रेल या वायु मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर बिलासपुर शहर से 25 किलोमीटर की दूरी पर है। रतनपुर के लिए हर एक घंटे में बस सेवा उपलब्ध है। बिलासपुर रेलवे स्टेशन से भी रतनपुर की दूरी 25 किलोमीटर है। इसी तरह से वायु मार्ग से यह स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट, रायपुर से 141 किलोमीटर की दूरी पर है। Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur

यहां देवी के रूप में विराजमान हैं बजरंगबली

Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur in Chhattisgarh

जहां हनुमान जी की विशाल प्रतिमा मौजूद है. बिलासपुर के पास रतनपुर में इकबिरा पर्वत पर स्थित हनुमान जी की यह प्रतिमा दूर-दूर से दिखाई देती है. आप बजरंगबली की इस प्रतिमा को लगभग 10 किलोमीटर दूर से भी देख सकते हैं.

हनुमान जी की यह प्रतिमा रतनपुर के सबसे ऊंचे पहाड़ की चोटी पर स्थित है. इस पर्वत के कई नाम है, इसे लक्ष्मीधाम पर्वत, श्री पर्वत, वाराह पर्वत एवं इकबीरा पर्वत के नामों से भी जाना जाता है. ऐसा बताते हैं कि पहले के समय में यहां पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. लोगों को पहाड़ियों से होकर ऊपर चढ़ना पड़ता था. अब यहां सीढ़ियां बन गई हैं. जिससे यहां पहुंचना पहले से आसान है.

निष्कर्ष

दोस्तों आप भी छत्तीसगढ़ के निवासी है, तो Maa Mahamaya Devi Mandir Ratanpur : जानिए रतनपुर की श्रद्धा और आस्था की गहराई |  एक बार जरूर जाये आप सभी भक्तो की मनोकामना पूरी हो | दोस्तों मै उम्मीद करती हु आप सभी को ये लेख पसंद आई होगी आप सभी यहाँ जरूर जाये | दोस्तों ऐसी छत्तीसगढ़ में घूमने की जगह के बारे में जाने के लिए हमारे वेबसाइट chhattisgarhtouristplaces.com से जुड़े रहे | धन्यवाद….

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shweta soni

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